मेहनत का जहां में .. दूसरा सानी नही
है पसीना खून से बढकर कोई पानी नही
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भले ही टूटता हो बदन उसका थकन से
अभी हारा नही है वो, हार उसने मानी नही
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सर झुका द्रोण का, श्रम
था एक्लव्य का
हर किसी का मुकद्दर यहां
खानदानी नही
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खारी पुरवाईयां, गहरी तनहाईयां सब ही हैं यहां
बस मीठे चश्मे का ही नाम जिन्दगानी नही
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लक्ष्य से दूर हैं, लगते मजबूर हैं
जब तलक दिल मे हमने ठानी नही
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हाथ थक जायेगा, चोट लग जायेगी
पर पानीयों पे तो तस्वीर बनानी नही
- जितेन्द्र तायल
मोब. 9456590120
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